The Author Saurabh kumar Thakur Follow Current Read लड़के भी रोते हैं - पार्ट 1 By Saurabh kumar Thakur Hindi Adventure Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books વિખુટી વિજોગણ કુદરતના ખોળે આવેલું કુંજર નામે અત્યંત નિર્મલ અને શાંત ગામ આવ... ભારત, પાકિસ્તાન, અને ક્રિકેટ ! ભારત અને પાકિસ્તાન વચ્ચે ક્રિકેટ મેચ, તેપણ વર્લ્ડકપમાં, તેપણ... જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી - 4 "જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી"( ભાગ -૪)બીજા દિવસથી મમ્મીએ કસરત શરૂ... તલાશ 3 - ભાગ 17 ડિસ્ક્લેમર: આ એક કાલ્પનિક વાર્તા છે. તથા તમામ પાત્રો અને તે... મારા કાવ્યો - ભાગ 18 ધારાવાહિક:- મારા કાવ્યોભાગ:- 18રચયિતા:- શ્રીમતી સ્નેહલ રાજન... 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चाहे पापा के जेब में हजारों रुपये क्यों ना पड़े हो । लड़के एक बार सोचते हैं पापा से एक हजार रुपये मांगने से पहले। कहीं ये लोन की किस्त के लिए तो नहीं है, कहीं ये बहन के ट्यूशन फीस तो नहीं है, कहीं ये मम्मी के दवाई के लिए तो नही है । कहीं ये पापा ने अपने लिए नए कपड़े खरीदने के लिए तो नहीं रखा । नहीं नहीं ये नहीं हो सकता, पापा ने अपने लिए कपड़े खरीदने का सोचा हो; नहीं ये हो ही नहीं सकता । हाँ ये हो सकता है मेरे लिए नए कपड़े खरीदने के लिए रखा होगा । माना कि मुझे कॉलेज के सेमेस्टर के परिक्षा की फॉर्म भरनी है, 1 दिन बाद फॉर्म क्लोज हो जाएगा मैं परिक्षा नहीं दे पाऊंगा । एक लड़के की कहानी है:- मैं सोचकर आया था आज कॉलेज से की आज घर पर पापा से पैसे माँग लूँगा पर पर रास्ते में बस के सफर में मुझे कई बातें याद आईं- जैसे लोन जमा करना है, घर पर पैसे भेजने हैं, रूम का किराया भी देना है, बहन का ट्यूशन फीस भी देना है तो घर पहुँचते ही मेरे दिमाग से यह बात ही निकल गई कि मुझे पैसा भी मांगना है पापा से तो मैंने पैसा नहीं मांगा; घर आया तो पापा बता रहे थे कि सैलरी मिली है और इस सैलरी से मुझे यह करना है, लोन देना है, घर पर बहन के ट्यूशन में देना है, मम्मी की दवाइयां लेनी है, बहुत सारी चीजें हैं । पापा की बात सुनते ही याद आ गई की मुझे भी परीक्षा फॉर्म भरनी है अंदर से इच्छा तो बहुत हो रही थी कि बोला जाए पापा वो दो हजार रुपये चाहिए थे एक फॉर्म भरना है । पर आवाज निकल नहीं सकी मुँह से तो मैंने कुछ बोला नहीं । बाहर आया तो रोने का बड़ा मन कर रहा था । मन हो रहा था कि जैसे फ़ूट-फ़ूट कर तीन चार घंटे रोऊँ। और उपरवाले को मनभर कोसू । मन हो रहा था जैसे माँ होती तो उनके गोद में सर रखकर रोता पर वो दिखी नहीं वहाँ तो मैंने भी नहीं रोया । याद आ गया था कि लड़के नहीं रोते । ऐसा नहीं है की लड़के रोना नहीं चाहते या लड़कों को रोना नहीं आता; बचपन में हमने भी बहुत रोया है, बचपन में तो लड़कों को रोना आता था । लड़के रोते भी थे, पर एक एक उम्र के बाद शायद वो रोना भूल जाते हैं एक मध्यमवर्गीय परिवार का एक लड़का जब बीस साल का हो जाता है तो वो ये नहीं कहता की पापा एक हजार रुपये चाहिए दोस्तों के साथ पार्टी करनी है । जब लड़का इक्कीस-बाइस साल का हो जाता है तो ये नहीं बोलता की कॉलेज की फीस भरनी है पापा दस हजार रुपये दे दो । लड़के समझने लगते हैं कि अब पापा का शरीर थक रहा है, उन्हें और ज्यादा बोझ नहीं देना । तब रोना चाहते हैं लड़के...................पर.. नहीं लड़के नहीं रोते। लड़कों के पास भी फीलिंग होती है वह अपनी फीलिंग शेयर करना चाहते हैं, पर लड़कों की फीलिंग अच्छे से सुन सके आज तक कोई ऐसा कान नहीं बन सका। और दुनिया में कोई दिमाग नहीं बना जो लड़कियों की परेशानियों को समझ करके उसका हल निकाल सके । हर लड़का रोना चाहता हैं और वह बहुत अच्छे से रो भी सकता है । रोने में लड़कों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता, एक लड़का रोने लगे वह दिन भर रो सकता है । मानो तो लड़के रोने में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना सकते हैं । पर लड़के रोते नहीं है वह नहीं दिखाना चाहते अपना आँसू। जब लड़के बीस साल के हो जाते हैं तो उन्हें उनकी खुशियाँ नहीं दिखती, उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का एहसास होने लगता है । उन्हें दिखाई देने लगता है है कि अब फैमिली को देखना है, पापा की उम्र हो चुकी है, अब वह नहीं कर सकते काम । मम्मी का तबीयत खराब रहने लगा है, बड़ी बहन का उम्र हो चुका है शादी का.....! अब नौकरी लगेगी तो मम्मी ऑपरेशन करा लूँगा उनका इलाज करा लूँगा। बहन की शादी करनी है । घर बनाना है । ऐसे हजारों ख्वाबों के बोझ तले उनकी आँखे दब जाती हैं और शायद आँसू देना भूल जाती हैं । पर लड़के भी रोते हैं । ये बात अलग है कि उनके आंसुओ को कोई देख नहीं पाता। खैर........... इन्हीं कुछ बातों से लबरेज एक एक मध्यमवर्गीय लड़के किशोर की कहानी होगी आपके समक्ष.......पढ़िए ।। और हाँ......! मैं भी एक लड़का ही हूँ। - सौरभ कुमार ठाकुर › Next Chapter लड़के भी रोते हैं - पार्ट 2 Download Our App